फिर कहीं से दर्द के सिक्के मिलेंगे, ये हथेली आज फिर खुजला रही है........!!!
भरम है.. तो भरम ही रहने दो…. जानता हूं मोहोब्बत नहीं है, पर जो भी है… कुछ देर तो रहने दो…!!!
जिन्दगी आज कल गुजर रही है इम्तिहानो के दौर से, एक जख्म भरता नही दूसरा आने की जिद करता है….!!!
ख़बरदार दुबारा मोहब्बत न करना, जरुरी नहीं हर बार खुदकुशी की कोशिश करके जिन्दा बच जाओगे....!!!
इतना, आसान हूँ कि हर किसी को समझ आ जाता हूँ, शायद तुमने ही... पन्ने छोड़ छोड़ कर पढ़ा है मुझे.…!!!
वो जान गया हमें दर्द में भी मुस्कुराने की आदत है, इसलिए वो रोज़ नया दुःख देता है मेरी ख़ुशी के लिए.....!!!
समंदर के बीच पहुँच कर फ़रेब किया उसने, वो कहता तो सही… किनारे पर ही डूब जाते हम.....!!!
कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं, मौत इंसानों को आती है यादों को नहीं....!!!
अहिस्ता कीजिये कत्ल मेरे अरमानो का, कही सपनो से लोगो का ऐतबार ना उठ जाए….!!!
मत पूछ शीशे से उसके टूटने की वजह, उसने भी मेरी तरह किसी पत्थर को अपना समजा होगा….!!!
न ठहरो मेरे दिल की वादी में चलते चले जाओ, रूकोगी तो फिर से इश्क कर बैठोगी.....!!!
काश बनाने वाले ने दिल कांच के बनाये होते, तोड़ने वाले के हाथ में ज़ख्म तो आये होते.....!!!
एक बेबफा के जख्मो पे मरहम लगाने हम गए, मरहम की कसम मरहम न मिला मरहम की जगह मर हम गए…!!!
ना आना लेकर उसे मेरे जनाजे में, मेरी मोहब्बत की तौहीन होगी, मैं चार लोगो के कंधे पर हूंगा, और मेरी जान पैदल होगी...!!!
रात सारी तड़पते रहेंगे हम, अब...आज फिर ख़त तेरे पढ़ लिए शाम को.....!!!
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