जो सुरूर है तेरी आँखों में वो बात कहां मैखाने में, बस तू मिल जाए तो फिर क्या रखा है ज़माने में..
हर बार तेरी मुस्कुराती आँखों को देखता हूँ, चला आता हूँ तेरे पास ख़यालों में उड़ते हुए..
आँख से दूर सही दिल से कहाँ जाएगा जाने वाले तो हमें याद बहुत आएगा !!
आपकी आँखें उठी तो दुआ बन गई आपकी आँखें झुकी तो अदा बन गई झुक कर उठी तो हया बन गई उठ कर झुकी तो सदा बन गई!!
झील अच्छा, कँवल अच्छा के जाम अच्छा है, तेरी आँखों के लिए कौन सा नाम अच्छा है.
वो कहने लगी, नकाब में भी पहचान लेते हो हजारों के बीच ? मैंने मुस्करा के कहा, तेरी आँखों से ही शुरू हुआ था इश्क हज़ारों के बीच..
क़ैद ख़ानें हैं, बिन सलाख़ों के, कुछ यूँ चर्चें हैं , तुम्हारी आँखों के.
इश्क़ हो रहा है उनसे क्या किया जाए, रोके अपने आपको या होने दिया जाए।।
इस भीगे भीगे मौसम में थी आस तुम्हारे आने की तुमको अगर फुर्सत ही नहीं तो आग लगे बरसातों को
गर मेरी चाहतों के मुताबिक जमाने की हर बात होती तो बस में होता तुम होती और सारी रात बरसात होती
ये मौसम भी कितना प्यारा है करती ये हवाएं कुछ इशारा है जरा समझो इनके जज्बातों को ये कह रही हैं किसी ने दिल से पुकारा है
चाहता हूँ तुम्हें नज़र में बसा लूँ ,औरों की नजरों से तुम्हें बचा लूँ,कहीं चूरा ना ले तुम्हें मुझसे कोई,आ तुझे मैं अपनी धड़कन में छुपा लूँ.sk.
तूफान की बात नहीं, तूफान तो आते जाते हैं, नर्म हवा का झोंका है, जो दिल के बाग मे ठहरा है!!
मेरी आंखों के जादू से तुम वाकिफ नहीं हो, वरना मैं उसे पागल कर देता हूं, जिस पर मुझे प्यार आ जाए!!
ना दिन का पता ना रात का, एक जवाब दे रब मेरी बात का, कितने दिन बीत गए उससे बिछड़े हुए, ये बता दे कौन सा दिन रखा है हमारी मुलाकात का?
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