नफरत के बाजार में मोहब्बत बेचते है, कीमत में सिर्फ और सिर्फ दुआ ही लेते है।
मोहब्बत हमारी भी, बहुत असर रखती है, बहुत याद आयेंगे, जरा भूल के तो देखो।
जिन्हे सांसो की महक से ईश्क महसूस ना हो, वो गुलाब देने भर से हाल-ए-दिल क्या समझेंगे।
इतनी दिलक़श आँखें होने का, ये मतलब तो नही.. कि, जिसे देखो.. उसे दिवाना कर दो।
हम ने रोती हुई आँखों को हसाया है सदा, इस से बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे।
दीवाना उस ने कर दिया एक बार देख कर, हम कर सके न कुछ भी लगातार देख कर। वो जिसकी याद मे हमने खर्च दी जिन्दगी अपनी, वो शख्श आज मुझको गैर कह के चला गया। जो उनकी आँखों से बयां होते हैं, वो लफ्ज़ शायरी में कहाँ होते हैं।
मोहब्बत हमारी भी, बहुत असर रखती है, बहुत याद आयेंगे, जरा भूल के तो देखो। जिन्हे सांसो की महक से ईश्क महसूस ना हो, वो गुलाब देने भर से हाल-ए-दिल क्या समझेंगे। नफरत के बाजार में मोहब्बत बेचते है, कीमत में सिर्फ और सिर्फ दुआ ही लेते है। हर कदम पर जिन्दगी एक नया मोड लेती है, कब न जाने किसके साथ एक नया रिशता जोड देती है। अजीब सा हाल है कुछ इन दिनों तबियत का, ख़ुशी ख़ुशी नही लगती और ग़म बुरा नही लगता। क्या अब भी तुमको चरागों की जरुरत है, हम आ गए है अपनी आँखों में वफ़ा की रौशनी ले कर।
वो पिला कर जाम लबों से अपनी मोहब्बत का, अब कहते हैं नशे की आदत अच्छी नहीं होती। हम ने रोती हुई आँखों को हसाया है सदा, इस से बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे। इतनी दिलक़श आँखें होने का, ये मतलब तो नही.. कि, जिसे देखो.. उसे दिवाना कर दो। जिन्हे सांसो की महक से ईश्क महसूस ना हो, वो गुलाब देने भर से हाल-ए-दिल क्या समझेंगे।
प्यास दिल की बुझाने वो कभी आया भी नहीं, कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं, बेरुखी इससे बड़ी और भला क्या होगी, एक मुद्दत से हमें उसने सताया भी नहीं।
मैंने जिसे भी चाहा अपना बनाना, सबसे पहले वही चीज मुझसे दूर हुई, एक बार जो गए फिर कहाँ मिले वो लोग, जिनके बिना मेरी जिंदगी बेनूर हुई।
मेरी जिंदगी की कहानी भी बड़ी मशहूर हुई, जब मैं भी किसी के ग़म में चूर हुई, मुझे इस दर्द के साथ जीना पड़ा, कुछ इस कदर मैं वक़्त के हाथों मजबूर हुई।
बरसों बाद भी तेरी जिद की आदत नहीं बदली, काश हम मोहब्बत नहीं... तेरी आदत होते।
राह में संग चलूँ ये न गँवारा उसको, दूर रहकर वो करता है इशारे बहुत, नाम तेरा कभी आने न दिया होंठों पर, यूँ तेरे जिक्र से शेर सँवारे हैं बहुत।
हमारे शहर आ जाओ सदा बरसात रहती है, कभी बादल बरसते हैं कभी आँखें बरसतीं हैं।
उड़ता हुआ गुबार सर-ए-राह देख कर, अंजाम हमने इश्क़ का सोचा तो रो दिए, बादल फिजा में आप की तस्वीर बन गए, साया कोई ख्याल से गुजरा तो रो दिए।
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