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मत कर यूं बेपनाह इश्क, ऐ नादां दिल उनसे, बहुत जख़्म लगते हैं, जब उँचाई से गिरते हैं......!!!

तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं, किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं….....!!!

तू तो ख्वाब थी, हकीकत कभी हुईं तो नहीं, मैंने बस ख्वाब हारा है, तुझे पाने का हौसला तो नहीं.....!!!

उनकी चाल ही काफी थी इस दिल के होश उड़ाने के लिए, अब तो हद हो गई जब से वो पाँव में पायल पहनने लगे.......!!!

लफ़्ज़ों से काश बयाँ कर पातें, ख़ामोशियाँ क्या असर करती हैं.......!!!

मैंने पूछा लोग कब चाहेंगे मुझे मेरी तरह, बस मुस्कुरा के कह दिया सवाल अच्छा है….!!!

मेरी फितरत ही कुछ ऐसी है कि, दर्द सहने का लुत्फ़ उठाता हु मैं….....!!!

दर्द तो अकेले ही सहते हैं सभी, भीड़ तो बस फ़र्ज़ अदा करती है….!!!

ये इश्क भी क्या चीज़ है ग़ालिब, एक वो है जो धोखा दिए जाते हैं, और एक हम है, जो मौका दिए जाते हैं…...!!!

वो मेरी होंगी तो लोट आएँगी एक दिन मेरे पास, हम जिसे प्यार करते है उसे कैद नहीं करते..........!!!

आओ कुछ देर ज़िक्र करे उन दिनों का, जब तुम हमारे और हम तुम्हारे थे......!!!

उसे हम याद आते है मगर फुर्सत के लम्हों में, यह बात और है की उसे फुर्सत ही नहीं मिलती......!!!

तुझे हकीक़त में अक्सर लोग मुझसे छीन लेते हैं, तुम मिलने मुझसे आया करो अब सिर्फ ख़्वाबों में.......!!!

हँस कर दर्द छुपाने की कारीगरी मशहूर है मेरी, पर कोई हुनर काम नहीं आता, जब तेरा नाम आता हैं…...!!!

एक ही बात इन लकीरों में अच्छी हैं, धोखा देती हैं, मगर रहती हाथ में ही हैं........!!!