तुम सामने आये तो, अजब तमाशा हुआ, हर शिकायत ने जैसे, खुदकुशी कर ली.......!!!
गुलाम हु मै अपने घर के संस्कारो का, वरना मै भी लोगो को उनकी औकात दीखाने का हुनर रखता हुं......!!!
ज़माना जब भी मुझे मुश्किल मे डाल देता है, मेरा ख़ुदा हज़ार रास्ते निकाल देता है.......!!!
पलकें खुली सुबह तो ये जाना हमने, मौत ने आज फिर हमें ज़िन्दगी के हवाले कर दिया.....!!!
तुम्हारे ख्वाबों को गिरवी रखके, तकिये से रोज़ रात थोड़ी नींद उधार लेता हु......!!!
तूने हसीन से हसीन चेहरो को उदास किया है, ए इश्क, तू अगर इन्सान होता तो तेरा पहला कातिल मै होता......!!!
अगर है दम तो चल डुबा दे मुजको, समंदर नाकाम रहा, अब तेरी आँखो की बारी.......!!!
घर से तो निकले थे हम ख़ुशी की ही तलाश में, किस्मत ने ताउम्र का हमैं मुसाफिर बना दिया......!!!
तु हजार बार भी रूठे तो मना लुगाँ तुझे, मगर देख, मुहब्बत में शामिल कोई दुसरा न हो......!!!
जिस्म का दिल से अगर वास्ता नहीं होता, क़सम खुदा की कोई हादसा नहीं होता........!!!
तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा था खबर तो रहती….सफर तय कितना करना है......!!!
मै झुकता हूँ हमेशा आँसमा बन के, जानता हूँ कि ज़मीन को उठने की आदत नही…!!!
थक सा गया हूँ, खुद को सही साबित करते करते, खुदा गलत हो सकता है, मगर मेरी मुहब्बत नहीं……!!!
कितने मसरूफ़ हैं हम जिंदगी की कशमकश में, इबादत भी जल्दी में करते हैं फिर से गुनाह करने के लिए…...!!!
नींद को आज भी शिकवा है मेरी आँखों से, मैंने आने न दिया उसको तेरी याद से पहले......!!!
mohd is offline
PoThymn is offline
masoom is offline
Arvind is offline
Ashish is offline
Basit is offline
Manisha is offline
Sudhir is offline
Rishabh is offline
hoandRor is offline
Sweta is offline
Harolduselm is offline
Aftab is offline
Anshul is offline
Aman is offline
Please Login or Sign Up to write your book.