*तारीफ़ की चाहत तो नाकाम लोगों की फितरत है* *काबिल लोगों के तो दुश्मन भी कायल होते हैं !!*
निकले हैं वो लोग मेरी शख़्सियत बिगाड़ने! किरदार जिनके खुद मरम्मत माँग रहे हैं! #शुभप्रभात 💞
तुम्हारे पास चुप रहने को बहुत कुछ है और मेरे पास कहने को। मैं चुप हूं और तुम बोले जा रहे हो। मेरी ज़ुबान चिकनी बातों पर नहीं फिसलती।
भूल जाता हूं अकसर कि तुम मुझे भूल गए हो
धूप मेरे सर पर है मंजिल तुम्हारे पास है मसला मेरा है लेकिन हल तुम्हारे पास है बादल बनकर मैं आज आसमां पर छा गया जिससे मैं बादल बना वो जल तुम्हारे पास है......
🙏🇮🇳“जो किए ही नहीं कभी मैंने, वो भी वादे निभा रहा हूँ मैं ! मुझसे फिर बात कर रही है वो, फिर से बातों में आ रहा हूँ मैं..!”😳😂
जीवन की सबसे महंगी वस्तु है आपका वर्तमान, जो एक बार चला जाए तो फिर पूरी दुनिया कि संपत्ति से भी हम उसे खरीद नहीं सकते। शुभ संध्या
जीने का मन नहीं करता , मैं मौत को एक बार लिखूं , मन करता है खून पिला कर कलम से अंगार लिखूँ , अपने ही खून से मैं , अपनी समस्याओं को तमाम लिखूं , अपने अल्फाजों में , दो चार शब्द हर रोज लिखू , शरीर के हर जख्म मे अपनो का व्यापार लिखू , इस जख्म भारे शरीर को , अंग का तार तार लिखू , किस्मत को हम क्यू कोशु, अपना हि मैं सार लिखू , फिर से अपनी बर्बादी के मातम को इक बार लिखूँ , बहुत परेशान हू ज़िन्दगी से मौत को अपना हार लिखू , अपने अल्फाजों से मैं , अपने दोस्तों का प्यार लिखू, इतने मुश्किल जीवन में उम्मीदों का व्यापार लिखूँ , अपनी चलती सॉसो के पीछे मॉ बाप का प्यार लिखू , हर चीख समेट शब्दों में पीड़ा को इस बार लिखूँ , बहुत परेशान हूं जिंदगी से , मौत को अपने यार लिखू, इन शब्दो के कल्प-पुष्प से अपना अंतिम हार लिखू, उठा के अपना शीश गगन से अपने ज़िन्दगी का सार लिखू , मैं भाई का छोटा भाई पन्नों में इतिहास लिखू....✍️ ~भाई का छोटा भाई
ख़ामोश फ़िजा थी कोई साया न था, इस शहर में मुझसा कोई आया न था, किसी ने छीन ली हम से वो खुशी.. हमने तो किसी का दिल दुखाया न था.
पैसो से भौतिक वस्तुओं को ख़रीदा जा सकता है मगर दिल कि जरूरतो को नही
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