रोती हुई आँखो मे इंतेज़ार होता है, ना चाहते हुए भी प्यार होता है, क्यू देखते है हम वो सपने.. जिनके टूटने पर भी उनके सच होने का इंतेज़ार होता है
मेरी भी एक चाँद थी, मुझे भी गुमान था... हाँ... इतना जरूर मैं भूल गया .. कि उसका सारा आसमान था...!!
जिनको मैंने जन्नत मानी है उसने मेरे लिए मन्नत मांगी है
मैने तुझे चांहा था तेरे प्यार के समंदर में डूबकर। जिन्दगी का हर ख्वाब अधूरा सा रह गया तेरा साथ छूटकर । लोग तो यूं ही कहा करते है कि हर मर्ज की दवा मिल जाती है। लेकिन मै कैसै मान लूं कि वो सीसा जुड जायेगा जो कल टूटा था भरी महफिल में उसके हाथों से छूट कर...!!
कोशिश करते रहें, हार हो या जीत... जीत गए तो मीत है हार गए तो प्रीत...
सुन्दर अनुहार भएको मान्छे त मिलीनै हाल्छ तर जसको मनै सुन्दर हुन्छ नि त्यो किस्मत वाला मात्र मिल्छ Suresh karki ✍️
खुदा तेरा इंसाफ भी बहुतों को खटकता है, कोई भूखा, कोई आशिक, आखिर क्यों भटकता है..?
Hamari nazar se kuch Nahi chupa hai Agar ishwar allaah god Vagayra vagayra hote To kahin na kahin Nazar aa gaye hote Apne ibadat gaah tootne Aur jalne se bachate hua Aur apne bina matlab ke Be asar bakwaas kitabe fatne aur jalne se bachate hua Savdhan jo khud apni Raksha nahi kar sakte Woh teri kya hifazat karege FAKEERA THE FAKIR BADSHAH SAAB
Ye duniya hi narak hai Dukh dard taqleef sab Bas yahaan hi hai Ek baar mar gaya to Phir sab swarg hi swarg hai FAKEERA THE FAKIR BADSHAH SAAB
Chahe ho poonam ya phir ho amaavas Bahaddur aur nidar rahe jas ke tas FAKEERA THE FAKIR BADSHAH FAKIR
मुटुमा तिमीलाई राखेको थिए तर भाग्य मा रहेनछ Suresh Karki
मुटुमा तिमीलाई राखेको थिए तर भाग्य मा रहेनछ
भोर भयो, बिन शोर, मन मोर, भयो विभोर, रग-रग है रंगा, नीला भूरा श्याम सुहाना, मनमोहक, मोर निराला। रंग है, पर राग नहीं, विराग का विश्वास यही, न चाह, न वाह, न आह, गूँजे घर-घर आज भी गान, जिये तो मुरली के साथ जाये तो मुरलीधर के ताज। जीवात्मा ही शिवात्मा, अंतर्मन की अनंत धारा मन मंदिर में उजियारा सारा, बिन वाद-विवाद, संवाद बिन सुर-स्वर, संदेश मोर चहकता मौन महकता।
Ai Maut Unhein Bhulaye Huye Zamane Gujar Gaye, Aa Ja Ke Zeher Khaye Huye Zamane Gujar Gaye, O Jaane Wale Aa Ke Tere Intezaar Mein, Raste Ko Ghar Banaye Zamane Gujar Gaye.
दिल में आग थी तो पांव कीचड़ में डाल दिया, कमबख्त ना आग बुझी ना दामन बचा....!
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