पनाहों में जो आया हो, तो उस पर वार क्या करना , जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना ! मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है, हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना !!
Jise Mene Pyar Kiya Wo Kabhi Meri Na Huyi Wo Chor Gayi Mujhe Kisi Aur K Liye Wo Chor Gayi Mujhe Kisi Aur K Liye Usne V Chor Diya Ushe Usne V Chor Diya Ushe Kisi Aur K Liye #SAGAR_R #BOXER🥊✍️
इश्क़ की गहराइयों में खूबसूरत क्या है मैं हूं, तुम हो और किसी की जरूरत क्या है
ऐसे मत देख पगली ÐiL हार जाएगी बस अब और मत देख वरना Mummy से मार खाएगी
प्यार की बात भले ही करता हो जमाना... मगर प्यार आज भी "मां" से शुरू होता है...
मेरे इश्क़ के चर्चे बहुत होंगे पर अफ़सोस तेरा जिक्र न होगा। हम होंगे तन्हाइयों में पर तुझे खोने का कोई गम न होगा। तू बेशक़ होगी हूर ज़माने की पर तेरे नसीब में फिर कोई महफ़िल न होगा। हम तो यू ही खमोश होंगे ज़नाज़े पर पर ज़माने में रौशन हमारा इश्क़ होगा।।
उन भारत के गद्दारों को बस एक सबक सिखाते। जिस सभा में की थी उन्होने के विभाजन की बात उसी समय उसी सभा में उनका शीश काट गिराते।
न जाने क्यों आज कल तुम इतने खफा होते जा रहे हो। बफा तो बहुत देखी थी मैंने तुम्हारे अन्दर पर न जाने क्यों तुम इतने बेबफा होते जा रहे हो।
मुस्कुराओ क्या गम है, जिंदगी में टेंशन किसको कम है, अच्छा या बुरा तो केवल भ्रम है, जिंदगी का नाम ही.. कभी खुशी कभी गम है!!
पूरी दुनिया जीत सकते है संस्कार से… और…. जीता हुआ भी हार जाते है, अहंकार से…!!
*_अब मुनासिब है घर बना लूँ अपने दर्मियां अपने दिल-ए-सवालात का। तबियत इज़ाजत नही देती मुझे गुफ्तगू करने की।।। कब्र-ए-गाह दफन ए जुस्तजू आलम-ए-मरहम नसीव नही होता। दफन हो जाती बहुत सी ख्वाहिशे पर याद न आना हर किसी के नसीव नही होता।। वो शायर।।।।_*
बहा कर ले चला वारिश का पानी उन सपनो को जिन्हे हालातो ने दिखाया था कभी ।।। फीके पड़ गय सब तौर तरीके जिन्हे जिन्दगी ने सिखाया था कभी ।।। अब मेघ वरसा ऐसा क्या सरकार,क्या हकुमत देखते रह गये सभी के सभी।। सवाल अब सरकारो से क्या पूछें, जबाब जानते है फिर कह देंगे काम तो करवाया था ओर टेंडर भी लगया है अभी अभी ।।। वो शायर।।।
तिनका तिनका इकठ्ठा किया घोंसला बनाया। एक तुफान आया उड़ा कर ले गया। फिर कोशिश की तिनका तिनका इकठ्ठा किया तुफान आया उड़ा कर ले गया। फिर वही कोशिश इकठ्ठा किया तुफान आया उड़ा कर ले गया।। इस बार इकठ्ठा करने के लिए कुछ भी नही बचा तुफान आया चला गया। तूफान आया चला गया ।। वो शायर।।।।
बहुत शिद्द्तों से बने आशियां की दीवारे-ए-दर्मिन्यां की दरारे भरने चला था मैं। मसरूफ इतना था की पता ही नही चला की कब दिवार मेरे उपर गिर गयी। अब न दर रहा न रही दिवार ओर ना ही रही कोई दरार। रहा सिर्फ दर्द,ज़खम वस ज़खम Vo shayar
सुना है हिसाब माँगते हो आओ बैठो कर देते हैं। बढ़ गई है शायद दिलों में बहुत नफ़रत सामने आओ थोड़ी और भर देते हैं। वो शायर
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