मैं भारत बरस का हरदम सम्मान करता हूँ, यहाँ की चांदनी मिट्टी का ही गुणगान करता हूँ, मुझे चिंता नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की, तिरंगा हो कफ़न मेरा, बस यही अरमान रखता हूँ
ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाए कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये
मुझे ना तन चाहिए, ना धन चाहिए बस अमन से भरा यह वतन चाहिए जब तक जिन्दा रहूं, इस मातृ-भूमि के लिए और जब मरुँ तो तिरंगा कफ़न चाहिये
आजादी की कभी शाम नहीं होने देंगे शहीदों की कुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगे बची हो जो एक बूंद भी लहू की तब तक भारत माता का आँचल नीलाम नहीं होने देंगे
बिकता है गम इश्क के बाज़ार में, लाखों दर्द छुपे होते हैं. एक छोटे से इंकार में, हो जाओ अगर ज़माने से दुखी, तो स्वागत है हमारी दोस्ती के दरबार में.”
सबकी ज़िन्दगी में खुशिया देने वाले, मेरे दोस्त की ज़िन्दगी में कोई गम न हो. उसको मुझसे भी अच्छे दोस्त मिले, अब इस दुनिया में हम न हो.”
गुनाह करके सजा से डरते है, ज़हर पी के दवा से डरते है. दुश्मनो के सितम का खौफ नहीं हमे, हम तो दोस्तों के खफा होने से डरते है.”
“दोस्त को भूलना ग़लत बात है. उन्ही का तो जिंदगी भर साथ है. अगर भूल गये तो सिर्फ़ खाली हाथ है, अगर साथ रहे तो ज़माना कहेगा-‘क्या बात है'”
दिन बीत जाते है सुहानी यादें बनकर, बाते रह जाती है कहानी बनकर, पर दोस्त तो हमेशा दिल के करीब रहते है, कभी मुस्कान तो कभी, आँखों का पानी बनकर।
कहीं अंधेरा तो कहीं शाम होगी, मेरी हर ख़ुशी तेरे नाम होगी, कभी मांग कर तो देख हमसे ए दोस्त, होंठो पर हसीं और हथेली पर जान होगी।
लोग रूप देखते है ,हम दिल देखते है , लोग सपने देखते है हम हक़ीकत देखते है, लोग दुनिया मे दोस्त देखते है, हम दोस्तो मे दुनिया देखते है।
वो भुल गये की उन्हे हँसाया किसने था, जब वो रुठते तो मनाया किसने था, आज वो कहते है कि मे बहुत खुबसुरत हू, शायद वो भुल गये की उन्हे ये बताया किसने था🌹🌹
हर बार मुकद्दर को कुसूरवार कहना अच्छी बात नहीं , कभी कभी हम उन्हें मांग लेते है जो किसी और के होते है …….!!🙄
शक का कोई ईलाज नहीं होता, जो यकीं करता है कभी नराज नहीं होता, वो पूछते है हमसे कितना प्यार करते हो, उन्हे क्या पता मोहब्बत का हिसाब नहीं होता..|
वो बात करते हैं हमसे दूर जाने की हम कोशिश करते हैं उन्हें अपना बनाना की हर घडी इच्छा रहती है उन्हें बुलाने की फिर वो क्यों कोशिश करते हैं हमे रुलाने की।
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