कोशिश करते रहें, हार हो या जीत... जीत गए तो मीत है हार गए तो प्रीत...
खुदा तेरा इंसाफ भी बहुतों को खटकता है, कोई भूखा, कोई आशिक, आखिर क्यों भटकता है..?
हर सांस सज़्दा करती है, हर नज़र में इबादत होती है... वो रूह आसमानी होती है, जिस दिल में मुहब्बत होती है...!!
नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है, मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है, कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों, सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है..!!
प्यार की बात भले ही करता हो जमाना... मगर प्यार आज भी "मां" से शुरू होता है...
मुस्कुराओ क्या गम है, जिंदगी में टेंशन किसको कम है, अच्छा या बुरा तो केवल भ्रम है, जिंदगी का नाम ही.. कभी खुशी कभी गम है!!
बहुत शिद्द्तों से बने आशियां की दीवारे-ए-दर्मिन्यां की दरारे भरने चला था मैं। मसरूफ इतना था की पता ही नही चला की कब दिवार मेरे उपर गिर गयी। अब न दर रहा न रही दिवार ओर ना ही रही कोई दरार। रहा सिर्फ दर्द,ज़खम वस ज़खम Vo shayar
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूं हैं
ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था मेरा नसीब, मेरे हाथ कट गए वरना मैं तेरी माँग में सिन्दूर भरने वाला था
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो उस आदमी को बस इक धुन सवार रहती है बहुत हसीन है दुनिया इसे ख़राब करूं बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं
अपने हाकिम की फकीरी पे तरस आता है जो गरीबों से पसीने की कमाई मांगे जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे मैं कितनी बार लुटा हूँ, हिसाब तो दे फूलों की दुकानें खोलो, खुशबू का व्यापार करो इश्क़ खता है तो, ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई मांगे!!
तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो!!
प्यार करने वाले कहते हैं, पहला प्यार कभी भुलाया नही जा सकता है, तो माँ बाप का प्यार कैसे भूल जाते है .....
You do not know yourself how cute you are Sweetheart dear Distance does not matter You were ours even yesterday, ours are today… !!
navin is offline
JeroNuccelp is offline
geeta is offline
Francnut is offline
SailipNuh is offline
Raja is offline
sasank shekhar is offline
AlbertMus is offline
boilaLob is offline
neha is offline
Ramakant is offline
guddu is offline
Robertkap is offline
Ghekap is offline
Gezduabs is offline
Please Login or Sign Up to write your book.