अपने ही दिये जखम भर रहा हूं मैं क्या बताऊँ किसी को की आजकल क्या कर रहा हूं मैं। फैसला मेरा है इसलिए शिकायत नहीं है किसी से मुझे अपने आप से ही रह रह कर गुजर रहा हूं मैं। जरूरत नहीं है अब किसी के साथ की,मिजाज ए बारिश का रुख जानता हूं पानी की तरह पल पल बह रहा हूं मैं। ईलम नहीं है मुझे गजल ए वफ़ा लिखने का ना जाने क्या-क्या कह रहा हूं मैं। बस जानता हूं आवाज ए बयान की गुफ्तगू इसलिए कुछ नया कर रहा हूं मैं। वस अब और बर्दाश्त नहीं होता यह सोच सोच कर रोज अपने आलम ए दासताँ का घर भर रहा हूं मैं। न जाने आजकल क्या कर रहा हूं मैं, न जाने आजकल क्या कर रहा हूं मै। वो शायर
प्यार जब मिलता नही तो होता ही क्यूँ है” “अगर ख्वाब सच नही होते तो इंसान सोता क्यू है” “जब यही प्यार आँखो के सामने किसी और का हो जाए” “तो फिर यह पागल दिल इतना रोता क्यूँ है”
💕💞🌲🌹दिल मैं हर राज़ दबा कर रखते है, होंटो पर मुस्कराहट सजाकर रखते है, ये दुनिया सिर्फ़ खुशी मैं साथ देती है, इसलिए हम अपने आँसुओ को छुपा कर रखते है। 💕💞💕
जंजीरों में जकड़ी हुई लफ्ज़-ए-सियाही को मिटा देना चाहती है आलम-ए आवाम फिर कहते हैं कि हिज्र-ए-बयानात का मौका नही मिलता || वो शायर |||
बाग में उदास क्यों बैठी हो, गम ना कर फूलों के मुरझाने का.. बाहर आएगा कभी न कभी, वक्त आएगा मुस्कुराने का...
प्यार कहते है आशिकी कहते है कुछ लोग उसे बंदगी कहते है मगर जिसके साथ हमें मोहब्बत है हम उन्हें अपनी जिन्दगी कहते है !!
ख़ामोशी इकरार से कम नहीं होती, सादगी भी सिंगार से कम नहीं होती, ये तो अपना अपना नज़रिया है मेरे दोस्त, वर्ना दोस्ती भी प्यार से कम नहीं होती
आपकी चाहत हमारी कहानी है ये कहानी इस वक़्त की मेहरबानी है हमारी मौत का तो पता नहीं पर हमारी ये ज़िंदगानी सिर्फ आपकी दीवानी है
मिली हैं रूहें तो, रस्मों की बंदिशें क्या हैं… यह जिस्म तो ख़ाक हो जाना है फिर रंजिशें क्या हैं छोटी सी ज़िन्दगी है तो तकरारें किस लिए… रहो एक दूसरे के दिलों में ये दीवारें किस लिए
किसी को बांध के रखना फितरत नही है मेरी, मैं प्रेम का धागा हूँ मजबूरी की ज़ंजीर नही..
चेहरे पर तेरे सिर्फ मेरा ही नूर होगा उसके बाद फिर तू न कभी मुझसे दूर होगा जरा सोच के तो देख क्या ख़ुशी मिलेगी जिस पल तेरी मांग में मेरे नाम का सिन्दूर होगा
I Don't Have Type Of Riches My Riches Is LIFE Forever #SAGAR_R #BOXER🥊✍️
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूं हैं
ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था मेरा नसीब, मेरे हाथ कट गए वरना मैं तेरी माँग में सिन्दूर भरने वाला था
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो उस आदमी को बस इक धुन सवार रहती है बहुत हसीन है दुनिया इसे ख़राब करूं बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं
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