ना दिन का पता ना रात का, एक जवाब दे रब मेरी बात का, कितने दिन बीत गए उससे बिछड़े हुए, ये बता दे कौन सा दिन रखा है हमारी मुलाकात का?
नजरे जो झुखाओगे तो दीदार कैसे होगा निगाहें जो छुपाओगे तो इकरार कैसे होगा प्यार में तो होती हैं आँखों से बातें… आँखे जो चुराओगे तो प्यार कैसे होगा
जब” से “वो” हमें “जगा” गए “हम” “उम्र” भर “सो” न सके, “जाने” क्या “कशिश” थी उनमे, “किसी” और को “हम” “अपना” “बना” न सके…!!
दिल मे छूपा रखी है मोहब्बत काले धन की तरह, खुलासा नही करता हूँ कि कही हंगामा ना हो जाये.
तराशा है उनको बड़ी फुर्सत से, जुल्फे जो उनकी बादल की याद दिला दे, नज़र भर देख ले जो वोह किसी को, नेकदिल इंसान की भी नियत बिगड़ जाए.
कभी सभले तो कभी बिखर गए हम, अब तो खुद में ही सिमट गए हम, यूँ तो ज़माना खरीद नहीं सकता हमें, मगर प्यार के दो लफ्जों से बिक गए हम।
रुठ जाओ कितना भी मना लेंगे, दूर जाओ कितना भी बुला लेंगे. ..दिल आखिर दिल है सागर का रेत तो नहीं, की नाम लिख कर मिटा देंगे!!
यूं ना देखा करो मेरी आंखों में आंखें डाल कर, तेरी आंखों के समंदर में मेरी दिल की नाव डोल जाती हैं!!
होठ पे लाली नाक में बाली वो नजरबंद जैसी है, बस उसका नूर देख के बता दो यारो, मेरी पसंद कैसी है!!
कसा हुआ है तिर हुस्न का, जरा संभाल के रहिएगा.. नजर नजर को मारेगी तो कातिल हमें ना कहिएगा!!
ऊपर वाले ने होठ धनुष जैसे बनाए हैं, यहीं से वो शब्द रूपी बाण चलते हैं, जो दिल को छू भी लेते हैं, और दिल को चिर भी देते है!!
दुनिया में ऐसा कोई पुरुष नहीं है, जो कोई एक ही महिला से आकर्षित होता हो!
चेहरे पे मेरे जुल्फों को फैलाओ किसी दिन, क्यूँ रोज गरजते हो बरस जाओ किसी दिन, खुशबु की तरह गुजरो मेरी दिल की गली से, फूलों की तरह मुझपे बिखर जाओ किसी दिन।
छुपाना चाहता हूँ तुम्हे अपनी आग़ोश में इस क़दर, कि हवा भी गुज़रने की इज़ाजत माँगे, हो जाऊँ मैं मदहोश तुम्हारे इश्क़ में इस क़दर, कि होश भी आने की इज़ाजत माँगे।
चलो अपनी चाहतें नीलाम करते हैं, मोहब्बत का सौदा सरे आम करते है, तुम अपना साथ हमारे नाम कर दो, हम अपनी ज़िन्दगी तुम्हारे नाम करते हैं..!
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