कुछ नहीं है आज मेरे शब्दों के गुलदस्ते में, कभी कभी मेरी खामोशियाँ भी पढ लिया करो…!
मिलने आयेंगे हम आपसे ख्वाबों में,ये ज़रा रौशनी के दिये बुझा दीजिए, अब नहीं होता इंतज़ार आपसे मुलाकात का,ज़रा अपनी आँखों के परदे तो गिरा दीजिए ।।
जंजीर कभी तड़का-तड़का, तकदीर जगाई थी हमने ! हर बार बदलते मौसम पर, उम्मीद लगाई थी हमने !! जंजीर कटी, तकदीर खुली, पर अभी ये अंखिया प्यासी है ! तेरा प्यार कहाँ जाकर बरसे, हर घाट गगरिया प्यासी है !!
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