Dard Bhari Shayari

ना जाने कौन-सी दौलत हैं कुछ लोगों के लफ़्जों में, बात करते हैं तो दिल ही खरीद लेते हैं

बड़ा मज़ा आता है उसे बार-बार मुझे सताने में, क्यो भूल जाती है कि नहीं मिलेगा, कोई मुझसा चाहने वाला इस जमाने में, नहीं आए यकीं तो फिर आज़माकर देख लेना कुछ बात अलग है इस दीवाने में तारीफ नहीं करता खुद की, मगर ये सच है कोई कसर नहीं छोडूंगा तेरा साथ निभाने में

काश तुम कभी जोर से गले लगा कर कहो, डरते क्यों हो पागल तुम्हारी ही तो हूँ।।

कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तिरा

इस से पहले कि सारे ख्वाब टूट जायें, और ये ज़िन्दगी हम से रूठ जाए, एक दूसरे के प्यार में खो जायें इस कदर, कि हम सारे गमों को भूल जायें।

आखों की गहराई में तेरी खो जाना चाहता हूँ आज तुझे बाँहों में लेकर सो जाना चाहता हूँ तोड़ कर हदे मैं आज सारी अपना तुझे बना लेना चाहता हूँ

आपके दीदार के लिए दिल तरसता हैं। आपके इंतज़ार में दिल तड़पता हैं। क्या कहें इस पागल दिल को जो, हमारा होकर भी आपके लिए धड़कता हैं।

मेरे दिल पर उसके प्यार का उधार रहता है, मेरी आंखों में उसके लिये प्यार बेशूमार रहता है, उसके बिना दिन का चैन गया और रातों की नींद गई, बस धड़कता इस दिल में वो दिलदार रहता है.

तुम लाख छुपाओ सीने में एहसास हमारी चाहत का दिल जब भी तुम्हारा धड़का हैं, आवाज़ यहाँ तक आई हैं।

तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है तेरे आगे चाँद पुराना लगता है

माना की तुम जीते हो ज़माने के लिये, एक बार जी के तो देखो हमारे लिये, दिल की क्या औकात आपके सामने, हम तो जान भी दे देंगे आपको पाने के लिये!

कब आपकी आँखों में हमें मिलेगी पनाह, चाहे इसे समझो दिल्लगी या समझो गुनाह, अब भले ही हमें कोई दीवाना करार दे, हम तो हो गए हैं आपके प्यार में फ़ना।

अपनी सांसों में महकता पाया है तुझे, हर खवाब मे बुलाया है तुझे, क्यू न करे याद तुझ को, जब खुदा ने हमारे लिए बनाया है तुझे.

अपनी कलम से दिल से दिल तक की बात करते हो; सीधे सीधे कह क्यों नहीं देते हम से प्यार करते हो!

तड़प के देख किसी की चाहत में, तो पता चले कि इन्तजार क्या होता हैं, यूँ मिल जाए अगर कोई बिना तड़प के, तो कैसे पता चले कि प्यार क्या होता हैं