कैसे कह दूँ की सरकार गुनाहगार नहीं है...क़ातिल है मगर हाथों मे तलवार नहीं है कितने घरों के चिराग बुझ गये एक पल में...ऐसे जुर्म पे भी हुकूमत शर्मसार नहीं है।
एक सैनिक ने क्या खूब कहा है... किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ आया हूँ, मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया हूँ, मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ, मैं अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ आया हूँ। जय हिन्द.
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