दीवारो-दर से उतर के परछाइयाँ बोलती हैं कोई नहीं बोलता जब तन्हाइयाँ बोलती हैं। सुनने की मुहलत मिले तो आवाज़ है पत्थरों में उजड़ी हुई बस्तियों में आबादियाँ बोलती हैं।
इन आंखो मे आंसू आये न होते, अगर वो पीछे मुडकर मुस्कुराये न होते, उनके जाने के बाद बस यही गम रहेगा, कि काश वो हमारी ज़िन्दगी मे आये न होते
इतने बुरे नही थे, जितने इल्जाम लगाए लोगों ने,, कुछ मुकद्दर खराब था, कुछ आग लगाई लोगो ने !!
तेरे ना होने से जिंदगी में बस इतनी सी कमी रहती है,, मैं चाहे लाख मुस्कुराऊ, आँखों में नमी सी रहती है !! :( सांस तो चलती रहती है मेरी ब-दस्तूर ,, ये धड़कने ही कुछ थमी थमी सी रहती है !!
मैं इस उम्मीद में डूबा कि तू बचा लेगा, अब इससे ज्यादा तू मेरा इम्तिहान और क्या लेगा ,,
कौन किसे दिल में हमेशा पनाह देता है। एक पेड़ भी सूखे पत्ते गिरा देता है। वाकिफ है हम इस दुनिया के मिजाज से। दिल भर जाये तो हर कोई भुला देता है
कच्चे मकान देखकर किसी से रिश्ता ना तोडना दोस्तो..! तजुर्बा है मेरा की मिट्टी की पकड मजबूत होती है संगमरमर पर तो हमने अक्सर पैर फिसलते हुए देखा है..!!
मेरे जीने मे में मरने में तुम्हारा नाम आयेगा मैं साँसे रोक लू फिर भी यही इल्जाम आयेगा हर एक धड़कन में जब तुम हो तो फिर आपराध क्या मेरा अगर राधा पुकारेगी तो फिर घनश्याय आएगा
मुझको मालूम है, मेरा है वो मैं उसका हूँ उसकी चाहत है कि रस्मों की ये बंदिश भी रहे मौसमों से रहें ‘विश्वास’ के ऐसे रिश्ते कुछ अदावत भी रहे थोड़ी नवाजि़श भी रहे.
एक खामोश हलचल बनी जिन्दगी गहरा ठहरा जल बनी जिन्दगी तुम बिना जैसे महलों में बीता हुआ उर्मिला का कोई पल बनी जिन्दगी दृष्टि आकाश में आस का एक दिया तुम बुझती रही, मैं जलाता रहा
खुद को आसान कर रही हो ना, हम पे एहसान कर रही हो ना, नींद, सपने, सुकून उम्मीदें, कितना नुकसान कर रही हो ना, हमने समझा है प्यार, पर तुम तो जान पहचान कर रही हो ना..
"ठीक भी है कि तुम ख़ुदा हो मेरे और बस एक का ख़ुदा कब है मेरे होने ना होने का मतलब तुम्हारे वास्ते जुदा कब है.
"घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे देखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगा मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा
"ये तेरी बेरूखी की हम से आदत खास टूटेगी.....! कोई दरिया ना ये समझे की मेरी प्यास टूटेगी.....! तेरे वादे का तू जाने मेरा वो ही इरादा है....! कि जिस दिन सास टूटेगी उसी दिन आस टूटेगी....!!"
वो कहने लगी नकाब में भी पहचान लेते हो… हजारों के बीच… मेंने मुस्करा के कहा तेरी आँखों से ही शुरू हुआ था “इश्क” हज़ारों के बीच…
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