इतने बुरे नही थे, जितने इल्जाम लगाए लोगों ने,, कुछ मुकद्दर खराब था, कुछ आग लगाई लोगो ने !!
इन आंखो मे आंसू आये न होते, अगर वो पीछे मुडकर मुस्कुराये न होते, उनके जाने के बाद बस यही गम रहेगा, कि काश वो हमारी ज़िन्दगी मे आये न होते
दीवारो-दर से उतर के परछाइयाँ बोलती हैं कोई नहीं बोलता जब तन्हाइयाँ बोलती हैं। सुनने की मुहलत मिले तो आवाज़ है पत्थरों में उजड़ी हुई बस्तियों में आबादियाँ बोलती हैं।
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