मेरे जीने मे में मरने में तुम्हारा नाम आयेगा मैं साँसे रोक लू फिर भी यही इल्जाम आयेगा हर एक धड़कन में जब तुम हो तो फिर आपराध क्या मेरा अगर राधा पुकारेगी तो फिर घनश्याय आएगा
मुझको मालूम है, मेरा है वो मैं उसका हूँ उसकी चाहत है कि रस्मों की ये बंदिश भी रहे मौसमों से रहें ‘विश्वास’ के ऐसे रिश्ते कुछ अदावत भी रहे थोड़ी नवाजि़श भी रहे.
याद आए कभी तो अपनी आंखें नम न करना , हम चले जाए तो सुनो तुम कोई गम न करना ! ये जरुरी तो नहीं कोई रिश्ता हो हमारा , हम मिले न मिले तुम प्यार कम न करना !
यादों की किम्मत वो क्या जाने, जो ख़ुद यादों के मिटा दिए करते हैं, यादों का मतलब तो उनसे पूछो जो, यादों के सहारे जिया करते हैं…
लग जा गले के फिर ये, हसीं रात हो ना हो शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो ना हो हम को मिली हैं आज ये घड़ियाँ नसीब से जी भर के देख लीजिये, हमको करीब से फिर आप के नसीब में, ये बात हो ना हो शायद फिर इस… पास आईये के हम नहीं आयेंगे बार-बार बाहें गले में डाल के, हम रो लें जार-जार आँखों से फिर ये प्यार की बरसात हो ना हो
एक खामोश हलचल बनी जिन्दगी गहरा ठहरा जल बनी जिन्दगी तुम बिना जैसे महलों में बीता हुआ उर्मिला का कोई पल बनी जिन्दगी दृष्टि आकाश में आस का एक दिया तुम बुझती रही, मैं जलाता रहा
हिम्मत ए रौशनी बढ़ जाती है, हम चिरागों की इन हवाओं से, कोई तो जा के बता दे उस को, चैन बढता है बद्दुआओं से…
"आप की दुनिया के बेरंग अंधेरों के लिए रात भर जाग कर एक चाँद चुराया मैंने रंग धुंधले हैं तो इनका भी सबब मैं ही हूँ एक तस्वीर को इतना क्यूँ सजाया मैंने
गमों को आबरू अपनी खुशी को गम समझते हैं जिन्हें कोई नहीं समझा उन्हें वस हम समझते हैं कशिश जिन्दा है अपनी चाहतों में जानेजा क्योंकि हमें तुम कम समझती हो तुम्हें हम कम समझते हैं।
खुद को आसान कर रही हो ना, हम पे एहसान कर रही हो ना, नींद, सपने, सुकून उम्मीदें, कितना नुकसान कर रही हो ना, हमने समझा है प्यार, पर तुम तो जान पहचान कर रही हो ना..
"ठीक भी है कि तुम ख़ुदा हो मेरे और बस एक का ख़ुदा कब है मेरे होने ना होने का मतलब तुम्हारे वास्ते जुदा कब है.
"घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे देखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगा मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा
"ये तेरी बेरूखी की हम से आदत खास टूटेगी.....! कोई दरिया ना ये समझे की मेरी प्यास टूटेगी.....! तेरे वादे का तू जाने मेरा वो ही इरादा है....! कि जिस दिन सास टूटेगी उसी दिन आस टूटेगी....!!"
कहो कुछ भी नहीं हमसे,मुझे खुद से जुदा कर दो..!झुका लो बेवफा नजरें,यहीं से अलविदा कर दो..!!ख़ता बस इतनी है मेरी,तुम्हें हम प्यार करते हैं,चले जाओ यहाँ से तुम,मेरी वापस वफा कर दो..!!भले ही तोड़ दो रिश्ता,मगर कह शुक्रिया तो दो,हमें दिल में बसाने का,जरा ये हक़ अदा कर दो..!!थे गुजरे साथ जो लम्हें,खडे़ हैं आज भी द़र पे,उन्हें तुम मुस्करा करके,अगर चाहो विदा कर दो..!!ख़फा होना भी है दस्तूर,यारों इस मोहब्बत का,बसा "वीरान" घर मेरा,कोई फिर से ख़ता कर दो..
वो कहने लगी नकाब में भी पहचान लेते हो… हजारों के बीच… मेंने मुस्करा के कहा तेरी आँखों से ही शुरू हुआ था “इश्क” हज़ारों के बीच…
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