खामोशियाँ.... बहुत कुछ कहती हैं, कान लगाकर नहीं, दिल लगाकर सुनो।
दिल मेरा भी कम खूबसूरत तो न था, मगर मरने वाले हर बार सूरत पे ही मरे..SK..
ना खौफ ना खबर अरे कहां हो ओ बेखबर...SK...
बाग में टहलते एक दिन, जब वो बेनकाब हो गए, जितने पेड़ थे बबूल के सब के सब गुलाब हो गए..
कुछ तुम भूली कुछ मैं भूला मंज़िल फिर से आसान हुई हम मिले अचानक जैसे फिर पहली पहली पहचान हुई
तेरी क्या औकात रुह मे बसने की… हम तो शायरी से लोगों की नस नस में बस जाते है..
आज उस काग़ज़ पे, ज़िन्दगी की कोई दास्ताँ लिख रहा हूँ, जिस कागज़ को, किसी पेड़ की ज़िन्दगी छीन के, बनाया गया होगा..
उसके ना होने से कुछ भी नहीं बदला मुझ में; बस जहाँ पहले दिल रहता था वहाँ अब सिर्फ दर्द रहता है।
मेरे शब्दो को इतनी शिद्दत से ना पढा करो, कुछ याद रह गया तो हमे भूल नही पाओगे !!!
तुम्हारी नफरत पर भी लुटा दी ज़िन्दगी हमने; सोचो अगर तुम मोहब्बत करते तो हम क्या करते।
धरती पर हल चलाने से उसको दु:ख तो होता है, पर धर्म रूपी फसल उगाने को धरती उर्वरा हो जाती है, तथा परोपकार के संतोष रूपी सुख में दुःख को भूल जाती है ...sk...
पलकों से रास्ते के कांटे हटा देंगे, फूल तो क्या हम अपना दिल बिछा देंगे, टूटने न देंगे हम इस प्यार को कभी, बदले में हम खुद को मिटा देंगे।
सारी उम्र में एक पल भी आराम का न था, वो जो दिल मिला किसी काम का न था, कलियाँ खिल रही थी हर गुल था ताज़ा, मगर कोई भी फूल मेरे नाम का न था।
किसी का हाथ थाम के छोड़ना नहीं, वादा किसी से कर के तोड़ना नहीं, कोई अगर तोड़ दे दिल आपका तो, बिना हाथ पैर तोड़े उसे छोड़ना नहीं।
जिस नगर भी जाओ किस्से हैं कमबख्त दिल के, कोई ले के रो रहा है कोई दे के रो रहा है।
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