जो पानी से नहायेगा वो सिर्फ लिबास बदल सकता है… लेकिन जो पसीने से नहायेगा वो इतिहास बदल सकता है…
शब्दों की ताकत को कम मत आंकिये… साहेब क्योकि छोटा सा “हाँ” और छोटा सा “ना” पूरी जिंदगी बदल देता है।
* क्या हम यह नहीं जानते कि आत्म सम्मान आत्म निर्भरता के साथ आता है? अब्दुल कलाम
* शिखर तक पहुँचने के लिए ताकत चाहिए होती है, चाहे वो माउन्ट एवरेस्ट का शिखर हो या आपके पेशे का।
* प्रतीक्षा करने वालों को सिर्फ उतना ही मिलता है जितना प्रयास करने वाले छोड देते है * किसकी को पराजित करना बहुत आसान है परंतू उसे जीतना उतना ही दुष्कर
मूर्ख खुद को मूर्ख समझे तो प्रतिभाशाली बन सकता है, परन्तु प्रतिभाशाली खुद को प्रतिभाशाली समझे तो मूर्ख बन सकता है
टूटा हूँ बिखरा नहीं हूं. हीरा हूँ- मोती हूँ साहेब! रखते हैं... सहेजते है... कद्रदान धागे बदलते है मुझे नहीं. कांति नहीं खोई है अंत तक न खोऊंगा जौहरी कोई फिर पिरोयेगा. केश में सजकर जाऊंगा किसी गले का हार बन जाऊंगा. उतरा था टूटकर बिखरने को. फिर दिल से लग जाऊंगा.
न मालूम राहें कौन सी थी किधर किधर गया हूँ मैं बच के चला तौहमतों से अपनी नज़रों में गिर गया हूँ मैं रास्ते बड़े कठिन हैं सुनता आया हूँ मैं ज़मानों से पर पसार उड़ चला हूँ बात करता हूँ आसमानों से कबूतरों सी रही उड़ान मेरी बाजों से घिर गया हूँ मैं बच के चला तौहमतों से अपनी नज़रों में गिर गया हूँ मैं
"अपनों के अवरोध मिले, हर वक्त रवानी वही रही साँसो में तुफानों की रफ़्तार पुरानी वही रही लाख सिखाया दुनिया ने, हमको भी कारोबार मगर धोखे खाते रहे और मन की नादानी वही रही...!"
माँग मुझ से है ख़ास दुनिया की, लफ्ज़ मेरे हैं आस दुनिया की , कतरा-कतरा है शायरी मेरी , दरिया-दरिया है प्यास दुनिया की
Jai mata Di
Manusya apne Bhagya ka nirmata khud hota hai
Radhe radhe
दीवारो-दर से उतर के परछाइयाँ बोलती हैं कोई नहीं बोलता जब तन्हाइयाँ बोलती हैं। सुनने की मुहलत मिले तो आवाज़ है पत्थरों में उजड़ी हुई बस्तियों में आबादियाँ बोलती हैं।
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